Pounichak Jammu
१४ नवम्बर २०१६ को परम पूज्यनीय सरसंघचालक जी का आगमन दृष्टि कन्या छात्रावास जम्मू में हुआ था। उन्होंने एक कार्य दिया था कि १० भाषाओँ के गीत जिनका भाव एक ही हो , तैयार करने हैं। बच्चों ने १० गीत तैयार कर लिए थे और पत्र के माध्यम से सरसंघचालक जी को सूचित किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दशहरे के कार्यक्रम में बच्चों को आमंत्रित किया।
सुबह ५ बजे दिनांक २९ सितम्बर २०१७ गाड़ी नागपुर पहुंची। नागपुर में जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के कार्यकर्ता चारू जी एवं प्रसन्न जी ने अगवानी की और वे संघ कार्यालय रेशिम बाग ले गए। वहां पर अरुणाचल प्रदेश से “मेरा घर भारत “ से आये हुए कार्यकर्ता मिले और उनसे परिचय हुआ।
इसके बाद आध्य सरसंघचालक श्री केशवराव बलिराम हेडगेवार जी की समाधि एवं गुरु जी की समाधि गए और फिर पूरा परिसर देखा। ११ बजे विदर्भ प्रान्त के प्रान्तप्रचारक जी के साथ भेंट हुई। इसमें बच्चियों ने १० भाषाओँ में गीत सुनाये और जम्मू कश्मीर की राजनैतिक एवं भौगोलिक स्थिति, छात्रावास के प्रबंधन के बारे में बताया।
जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के कार्यकर्ताओं ने नागपुर भ्रमण का कार्यक्रम रखा। इसमें ३ बजे सभी बच्चे NEERI गए और वहां कचरा प्रबंधन , जल के शुद्धिकरण एवं वायु प्रदूषण के बारे में जाना, फिर अक्षर धाम मंदिर नागपुर पहुंचे। वहां के प्रमुख स्वामी से जयदेव जी मिले और अक्षरधाम की गतिविधियों को जाना।
३० सितम्बर २०१७ विजयादशमी नागपुर में मनाई।संघ के पथसंचलन के बाद सरसंघचालक जी ने संबोधित किया और आत्मगौरव की अनुभूति से राष्ट्र का उत्थान होगा इस विचार पर बल दिया। सेवा भारती के दृष्टि छात्रवास की कन्या एवं कार्यकर्ताओं का स्थानीय स्वयं सेवकों के घरों में प्रवास एवं निवास हुआ। सभी बच्चे रसोई घर गए और नागपुर के ब्यंजन बनाने सीखे और घर वाली माताओं और बच्चों को जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के व्यंजन बनाना सिखाया। कहीं बच्चियों का दुर्गा रूप मानकर पूजन भी किया। यह एक अद्भुत मिलन था। यहाँ दशहरा मनाने की बहुत समृद्ध परम्परा है।दिन में सभी वाहनों और शस्त्रों को पूजा की जाती है।शाम को मंदिर जाते हैं और मंदिर में भगवान को शमी( सोने के) पत्ते अर्पित किए जाते हैं तथा छोटे बड़ों को शमी के पत्ते देते हैं और बड़ों के पैर छूते हैं।यहां लड़कियां भी बड़ों के पैर छूती हैं। बड़े आशीर्वाद देते हैं। दशहरे का दिन नागपुर में एक और बात के लिए महत्वपूर्ण हैं इस दिन बाबा साहब अम्बेडकर ने लोगों को धम्म चक्र प्रवर्तन की दीक्षा दी थी। पूरे देश से हजारों लोग दीक्षा भूमि पर इस दिन आते हैं।आज नागपुर तीर्थ स्थान बन चुका है।
दिनांक १ अक्टूबर को पूज्यनीय सरसंघचालक जी से मिलने मोहिते के बाढ़े पहुंचे। यही वह स्थान था जहां पर पहली बार शाखा लगी थी। वहां के सघ के कार्यकर्ताओं ने स्थान के इतिहास के बारे में बताया। फिर पूज्यनीय सरसंघचालक जी से भेंट हुई। बच्चों से बैठकर बातचीत हुई। बच्चों ने दो गीत एक तमिल भाषा में और दूसरा संस्कृत में गया। इसके उपरान्त सरसंघचालक जी ने ५ अन्य भाषाओँ के पूरे गीत याद करने को कहा और जब याद हो जाएँ तब पत्र लिखकर सूचित करने को कहा। इसके बाद सभी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का संग्रहालय देखा। जिसमें अभी तक के सभी सरसंघचालकों की स्मृति चिन्ह जिनका वे अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करते थे रखीं हैं। फिर डॉक्टर साहब के घर गए , उनके घर में एक मैदान है घर में एक छोटा सा मंदिर है उसमें उनके कुल देवता (भगवान् विष्णु ) की मूर्ति रखी हुई है। उनके घर के मिट्टी के चूल्हे आज भी सहेजकर रखे गए हैं। घर में ही कुआ है। शाम को राष्ट्र सेविका समिति कार्यालय गए। वहां संचालित देवी अहिल्याबाई स्मृति समिति कन्या छात्रवास जो उत्तर पूर्व की छात्राओं के लिए बनाया गया है से दृष्टि छात्रावास की कन्याओं का परिचय हुआ। वहां शुरू में पहनावे से अलग दिखने वाली छात्राओं में वहीँ संस्कृति की झलक देखने को मिली जो कि जम्मू कश्मीर में है अर्थात् भारतीय संस्कृति। राष्ट्र सेविका समिति की सरकार्यवाहिका सरिता दीदी ने अहिल्या बाई छात्रावास के बारे में बताया कि इससे निकली हुई छात्राएं उत्तरपूर्व में बंगलादेशी घुसपेठियों से डंटकर मुकाबला कर रही हैं। पहले बांग्लादेशियों के कारण घर खाली करने पड़ते थे अब मुकाबला करना शुरू कर दिया है।दोनों छात्रावास की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। दृष्टि छात्रावास की कन्याओं ने १० भाषाओँ में गीत तथा लद्दाखी, कश्मीरी एवं डोगरी भाषाओँ के गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया। अहिल्याबाई छात्रावास की बहिनों ने गीत एवं नागा और असमिया नृत्यों की प्रस्तुति दी। उसके बाद अन्ताक्षिरी तथा अंत में एक गीत “देश हमें देता है सब कुछ” सभी बहिनों ने सामूहिक रूप से गाया। इसके बाद पत्रकारों ने दृष्टि छात्रावास की बहिनों से कठिन से कठिन प्रश्न पूछे जिनका सभी बहिनों ने सुन्दर ढंग से जबाव दिया।इसके बाद सभी जब स्टेशन पर गाड़ी में बैठे और गाड़ी चलने लगी तो ऐसा लगा कि भावनाओं का एक महीन धागा टूट रहा है। इस यात्रा की विशेष बातें इस प्रकार हैं।I
विजयादशमी कार्यक्रम नागपुर २०१७ कार्यक्रम से लौटी कन्याओं का अभिन्दन एवं अनुभव कथन सुनने के लिए दिनांक: ६ अक्टूबर २०१७, शुक्रवार, समय: सायं ४:३० बजे, स्थान: आर्यभट्ट सभागार, सेवा भारती कार्यालय, जम्मू में कार्यक्रम हुआ। जिसमें सभी बच्चियों ने नागपुर यात्रा के ट्रेन, दर्शनीय स्थलों का भ्रमण, नागपुर में दशहरे के त्यौहार मानाने के तरीके, मोहिते के बाढ़े जहां संघ की प्रथम शाखा लगी, सरसंघचालक जी के निवास, सभी सरसंघचालकों के स्मृति चिन्हों को संजोकर बनाये गए संग्रहालय एवं प्रथम सरसंघचालक प.पू. डॉ. साहब के घर के बारे में बताया और माननीय पराग जी अभ्यंकर, अखिल भारतीय सेवा प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी उपस्थित थे और अंत में उन्होंने मार्गदर्शन किया और बच्चियों के कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा की।
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